गुरुवार, 27 अक्तूबर 2016

कर कुछ ऐसा



कर कुछ ऐसा कि तेरे नाम को नाम मिले ।
वो जो पूछेगा तुझे कुछ तो बताना होगा ।।
भले उड़ जाये गगन में तू कहीं तक पंछी ।
धरा पे लौट के आखिर तो तुझे आना होगा ।।
ना हाथ पकड़ने वाले ना ही तिनकों के सहारे ।
भंवर से खुद ही निकलके तुझे आना होगा ।।
राहों में रौशनी के लिए जुगनू की तरह
अँधेरी रात में खुद को ही जलाना होगा ।।
खुद भी खो जायेगा निकला जो खोज में मेरी ।
कस्तूरी हूँ में मुझे खुद में ही तुझे पाना होगा ।।
ज़िन्दगी फिर से मिलेगी है यहाँ किसको पता ।
जी ले जी भर के इसे एक रोज तो जाना होगा ।।