सोमवार, 28 दिसंबर 2009

नववर्ष



एक पल
एक ऐसा पल
जो समेटे है
मिलन और जुदाई 
एक पल ही तो है
जो जोड़े रखता है
अतीत को भविष्य से
आने वाले को जाने वाले से
सिर्फ मन के भाव बदलते है
यथार्थ में कुछ नहीं बदलता
बदलते है तो सिर्फ अहसास
कुछ सपने , कुछ ख्वाहिशें
उम्मीदों की कुछ किरणें 
हौसलों के पंख
नववर्ष का आगाज है
मन की बाहें फैलाकर
इसका स्वागत करो
कहते है....
जब जागो, तभी सवेरा
अगर चाहते हो 
आने वाली पीढ़ियों को
तुम पर गर्व हो  
तो जागो 
अतीत के अनुभव की मिटटी में 
भविष्य के सपने बो कर
करो शुरुआत 
एक नए युग की
नए वर्ष के
उगते सूरज के साथ.

नववर्ष मंगलमय हो !
...........................

16 टिप्‍पणियां:

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

Aap ko bhi new year ki dher sari shubhakaamnaye..

badhiya rachan...badhai

shama ने कहा…

अतीत के अनुभव की मिटटी में
भविष्य के सपने बो कर
करो शुरुआत
एक नए युग की
नए वर्ष के
उगते सूरज के साथ.

Yahee shubhkamnayen aapke liye! Isse behtar aur alfaaz kya honge?

ज्योति सिंह ने कहा…

अतीत के अनुभव की मिटटी में

भविष्य के सपने बो कर
करो शुरुआत

एक नए युग की

नए वर्ष के

उगते सूरज के साथ.
bahut hi shaandaar rachna ,aur naya varsh mangalmaya ho ,aapne jo salah di mujhe aabhari hoon .

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर रचना

daanish ने कहा…

nav varsh
2010
ke liye
aapko
meri trf se
shubhkaamnaaeiN

Dr. Mohanlal Gupta ने कहा…

ब्लॉग पर आने का धन्यवाद। नववर्ष की शुभकामनायें। – डॉ. मोहनलाल गुप्ता

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत अच्छा लिखते हैं आप अभी आपका ब्लॉग पढ़ा शुक्रिया

रंजना ने कहा…

Nav aasha aur utsaah ka sanchaar karti bahut hi sundar rachna....

Nav varsh sabke liye shubh ho...

Apanatva ने कहा…

ati sunder bhav sath hee rachana bhee. badhai.

निर्मला कपिला ने कहा…

जब जागो, तभी सवेरा
अगर चाहते हो
आने वाली पीढ़ियों को
तुम पर गर्व हो
तो जागो
अतीत के अनुभव की मिटटी में
भविष्य के सपने बो कर
करो शुरुआत
एक नए युग की
नए वर्ष के
उगते सूरज के साथ.
बहुत ही सुन्दर सन्देअश देती रचना के लिये बधाई आपको नये वर्ष की शुभकामनायें मेरे ब्लाग पर आने के लिये धन्यवाद

Pratik Maheshwari ने कहा…

इस सुन्दर सी अभिव्यक्ति के साथ-साथ नववर्ष की भी शुभकामनाएं..

Urmi ने कहा…

आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत बढ़िया रचना लिखा है आपने!

ज्योति सिंह ने कहा…

ek lekh likhoon hoon kavyanjali par aakar apne vichar de ,shukriyaan

श्रद्धा जैन ने कहा…

जब जागो, तभी सवेरा

अगर चाहते हो

आने वाली पीढ़ियों को

तुम पर गर्व हो

तो जागो

अतीत के अनुभव की मिटटी में

भविष्य के सपने बो कर
करो शुरुआत

एक नए युग की

नए वर्ष के

उगते सूरज के साथ.


bahut Gahri rachna

जयंत - समर शेष ने कहा…

"यथार्थ में कुछ नहीं बदलता
बदलते है तो सिर्फ अहसास"

Sach bhi aur thodaa saa niraashaa janak bhi... :)

Achchhaa likhaa hai aapne. Bahut sundar.

निर्झर'नीर ने कहा…

http://www.anubhuti-hindi.org/sankalan/naya_saal/sets/2010/ny09.htm

Published in Anubhuti