तेरी यादों के साये
इस क़दर छाये है
जैसे
पहाड़ी कंदराओं के
आखिरी हिस्से में
छाया हुआ अँधेरा
वक़्त भी खड़ा है
पाएदार की तरह
एक ही जगह पर
ना सहर होती है
ना शाम ढलती है
उम्मीद की किरण भी
दो कदम चलकर
दम तोड़ देती है
लगता है ये रूह
जिस्म से आज़ाद होकर भी
जन्मों तक भटकती रहेगी
इन अँधेरी गुफाओं में
ए काश:तुम आते
मुझे आज़ाद करने
इन यादों की
घनी क़ैद से
हमेशा-हमेशा के लिए.
......................
18 टिप्पणियां:
इस उम्मीद के साथ
की एक दिन
तुम आओगे
मुझे आज़ाद करने
इन यादों की
घनी क़ैद से
हमेशा-हमेशा के लिए.
बहुत संवेदनशील रचना ... बस उम्मीद कायम रहे...
बहुत ही ख़ूबसूरत रचना ! दिल को छूते हुए नाज़ुक अहसास और बेहतरीन प्रस्तुति ! मेरी बहुत सारी शुभकामनाएं और बधाई !
http://sudhinama.blogspot.com
http://sadhanavaid.blogspot.com
बहुत अच्छा लिखा है शब्दों से वैसा ही वातावरण बन गया है जैसा आपने चाहा था........."
एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब
प्रेम वियोग और पीड़ा की बहुत ही सुन्दर भावुक व मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति....
इस उम्मीद के साथ
की एक दिन
तुम आओगे
मुझे आज़ाद करने
इन यादों की
घनी क़ैद से
हमेशा-हमेशा के लिए.
Ameen!
बहुत अच्छा लिखा है।यादों से रिहाई बड़ी मुश्किल से मिलती है।
उम्मीद की किरण भी
दो कदम चलकर
दम तोड़ देती है
लगता है ये रूह
जिस्म से आज़ाद होकर भी
जन्मों तक भटकती रहेगी
इन अँधेरी गुफाओं में
इस उम्मीद के साथ
की एक दिन
तुम आओगे
---कविता में विरोधाभाष है जब उम्मीद की किरण दम तोड़ देती है तो फिर...!
मेरे ब्लॉग पर इतनी प्यारी और आत्मीयता से भरी प्रतिक्रिया के लिए आभार. आपकी प्रतिक्रिया ने ही डांट खट्टे कर दिए अब टिकोरे की कहाँ गुंजाइश. भगवान करे आप के आम के बाग़ यूँ ही सलामत रहें. हमें तो घर बैठे ही स्वाद आ जायेगा.अपना स्नेह यूँ ही बने रखें
आभार
इस उम्मीद के साथ
की एक दिन
तुम आओगे
मुझे आज़ाद करने
इन यादों की
घनी क़ैद से
हमेशा-हमेशा के लिए.
आपकी पोस्ट पढ़ी बहुत अच्छी लगी संवदनाओं से भरपूर है
Devesh - Your Trusted Palm Reader - Neer pal ji kaise hai, bahut khub hai ye yaado ki dastan, bahut sundar likha hai aapne...superb.2:47 pm
Nayi rachanke khojme nikali thi...!
उम्दा....
भई हम भी यादों से परेशान हैं...
कोई उपाय सूझे तो बताइयेगा!
फिलहाल तो, सानु एक पल चैन ना आवे......
bahut sunder rachana .........
aabhar.
' उम्मीद की किरण भी
दो कदम चलकर
दम तोड़ देती है
लगता है ये रूह
जिस्म से आज़ाद होकर भी
जन्मों तक भटकती रहेगी
इन अँधेरी गुफाओं में'
- लेकिन आशा ही जीवन है.
'ख्वाहिशों का चाँद'
- सुन्दर.
Kya baat hai..baht din hue,yahan kuchh likhe?
प्रशंसनीय ।
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