बुधवार, 14 अप्रैल 2010

क़ैद


ज़हन और दिल पे
तेरी यादों के साये
इस क़दर छाये है
जैसे
पहाड़ी कंदराओं के
आखिरी हिस्से में
छाया हुआ अँधेरा
वक़्त भी खड़ा है
पाएदार की तरह
एक ही जगह पर
ना सहर होती है
ना शाम ढलती है
उम्मीद की किरण भी 
दो कदम चलकर
दम तोड़ देती है
लगता है ये रूह
जिस्म से आज़ाद होकर भी
जन्मों तक भटकती रहेगी
इन अँधेरी गुफाओं में 
ए काश:तुम आते 
मुझे आज़ाद करने
इन यादों की
घनी क़ैद से
हमेशा-हमेशा के लिए.  

......................

18 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

इस उम्मीद के साथ
की एक दिन
तुम आओगे
मुझे आज़ाद करने
इन यादों की
घनी क़ैद से
हमेशा-हमेशा के लिए.

बहुत संवेदनशील रचना ... बस उम्मीद कायम रहे...

Sadhana Vaid ने कहा…

बहुत ही ख़ूबसूरत रचना ! दिल को छूते हुए नाज़ुक अहसास और बेहतरीन प्रस्तुति ! मेरी बहुत सारी शुभकामनाएं और बधाई !

http://sudhinama.blogspot.com
http://sadhanavaid.blogspot.com

Amitraghat ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा है शब्दों से वैसा ही वातावरण बन गया है जैसा आपने चाहा था........."

संजय भास्‍कर ने कहा…

एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब

रंजना ने कहा…

प्रेम वियोग और पीड़ा की बहुत ही सुन्दर भावुक व मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति....

kshama ने कहा…

इस उम्मीद के साथ
की एक दिन
तुम आओगे
मुझे आज़ाद करने
इन यादों की
घनी क़ैद से
हमेशा-हमेशा के लिए.
Ameen!

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा है।यादों से रिहाई बड़ी मुश्किल से मिलती है।

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

उम्मीद की किरण भी
दो कदम चलकर
दम तोड़ देती है
लगता है ये रूह
जिस्म से आज़ाद होकर भी
जन्मों तक भटकती रहेगी
इन अँधेरी गुफाओं में
इस उम्मीद के साथ
की एक दिन
तुम आओगे
---कविता में विरोधाभाष है जब उम्मीद की किरण दम तोड़ देती है तो फिर...!

रचना दीक्षित ने कहा…

मेरे ब्लॉग पर इतनी प्यारी और आत्मीयता से भरी प्रतिक्रिया के लिए आभार. आपकी प्रतिक्रिया ने ही डांट खट्टे कर दिए अब टिकोरे की कहाँ गुंजाइश. भगवान करे आप के आम के बाग़ यूँ ही सलामत रहें. हमें तो घर बैठे ही स्वाद आ जायेगा.अपना स्नेह यूँ ही बने रखें
आभार

रचना दीक्षित ने कहा…

इस उम्मीद के साथ
की एक दिन
तुम आओगे
मुझे आज़ाद करने
इन यादों की
घनी क़ैद से
हमेशा-हमेशा के लिए.
आपकी पोस्ट पढ़ी बहुत अच्छी लगी संवदनाओं से भरपूर है

निर्झर'नीर ने कहा…

Devesh - Your Trusted Palm Reader - Neer pal ji kaise hai, bahut khub hai ye yaado ki dastan, bahut sundar likha hai aapne...superb.2:47 pm

kshama ने कहा…

Nayi rachanke khojme nikali thi...!

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

उम्दा....
भई हम भी यादों से परेशान हैं...
कोई उपाय सूझे तो बताइयेगा!
फिलहाल तो, सानु एक पल चैन ना आवे......

Apanatva ने कहा…

bahut sunder rachana .........
aabhar.

hem pandey ने कहा…

' उम्मीद की किरण भी
दो कदम चलकर
दम तोड़ देती है
लगता है ये रूह
जिस्म से आज़ाद होकर भी
जन्मों तक भटकती रहेगी
इन अँधेरी गुफाओं में'

- लेकिन आशा ही जीवन है.

hem pandey ने कहा…

'ख्वाहिशों का चाँद'
- सुन्दर.

kshama ने कहा…

Kya baat hai..baht din hue,yahan kuchh likhe?

अरुणेश मिश्र ने कहा…

प्रशंसनीय ।