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बरसों से
दिल की तलहटी में दबी हुई
कुछ बेसूद उम्मीदें
कुछ बेसूद उम्मीदें
और
बेकार सी बातें
कुछ बेपर्दा ख्याल
कुछ बेपर्दा ख्याल
और
बेनूर ख्वाब
कुछ बेज़ार ख्वाहिशें
कुछ बेज़ार ख्वाहिशें
और
बेरब्त तमन्नाएं
दिल की क़ैद से
दिल की क़ैद से
बाहर आने को बेताब हैं
मैं भी तलाश रहा हूँ
मैं भी तलाश रहा हूँ
उन शब्दों को
जो समेट ले
जो समेट ले
मेरे इन अहसासों को
जो सोख ले
जो सोख ले
इस दर्द के सागर को
और में भी
और में भी
इन शब्दों के मोतियों को
प्यार के धागे में पिरोकर
बुन सकूँ
प्यार के धागे में पिरोकर
बुन सकूँ
कविता की एक माला
मैं तलाशता हूँ जिन्हें
हर रोज
हर रोज
हर पल
हर जगह
वो सारे अनछुए शब्द
ना जाने कहाँ छुपे हैं
मुझे यकीं है
उम्र के आखिरी पड़ाव तक
वो सारे अनछुए शब्द
ना जाने कहाँ छुपे हैं
मुझे यकीं है
उम्र के आखिरी पड़ाव तक
पा ही लूँगा
उन सारे शब्दों को
जिनसे में बना सकूं
कविता की एक माला
तुम्हारे लिए
सिर्फ तुम्हारे लिए !
जिनसे में बना सकूं
कविता की एक माला
तुम्हारे लिए
सिर्फ तुम्हारे लिए !
.....................
17 टिप्पणियां:
बहुत खुबसुरती से पिरोया है दिल का दर्द एक एक मनका उभर कर आया है और उस पर खूबी ये कि सकारात्मकता झलक रही है. बहुत खूब!!!!!!!
मुझे यकीं है
उम्र के आखिरी पड़ाव तक
पा ही लूँगा
उन सारे शब्दों को
जिनसे में बना सकूं
कविता की एक माला
तुम्हारे लिए
सिर्फ तुम्हारे लिए !
Dua karti hun,ki aakhari padav tak rukna pade! Qalam aapki gulam nazar aati hai..itni sundar rachana likhi hai!
कविता की एक माला
तुम्हारे लिए
सिर्फ तुम्हारे लिए !
खूबसूरत खयाल
ऐसी माला मैं भी बना रहा हूँ
आपकी भी जरूर बनेगी
Vo shabd jaroor milenge jinki maala ban sake unke prem mein ... sundar shabdon se buni anopam rachn ...
वाह! कमाल की रचना है! अब तक कहाँ थे भैया ?
waah sir pehli baar aapko padha achcha laga...
Kyaa baat hai...
इन शब्दों के मोतियों को
प्यार के धागे में पिरोकर
बुन सकूँ
कविता की एक माला
मैं तलाशता हूँ जिन्हें
Aanand aa gayaa!!
वो सारे अनछुए शब्द
ना जाने कहाँ छुपे हैं
मुझे यकीं है
उम्र के आखिरी पड़ाव तक
पा ही लूँगा
बहुत खूबसूरत ख़याल से शब्दों की माला बनाने का प्रयास....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....
मुझे यकीं है
उम्र के आखिरी पड़ाव तक
पा ही लूँगा
===
ऐसे कवि को तो मंजिल खुद आगे बढ़ कर चूम लेगी.
बहुत सुन्दर कविता.
मुझे यकीं है
उम्र के आखिरी पड़ाव तक
पा ही लूँगा
उन सारे शब्दों को
जिनसे में बना सकूं
कविता की एक माला
तुम्हारे लिए
सिर्फ तुम्हारे लिए !
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति....
वाह...बहुत बहुत सुन्दर....
कोमल भावों को बहुत ही कोमल मनमोहक अभिव्यक्ति दी है तुमने...
सुन्दर भावाव्यक्ति!रचनाओ का नया रंग विन्यास अच्छा है!"सच में" पर आना छोड ही दिया,आपने!
उम्र के आखिरी पड़ाव तक
पा ही लूँगा
उन सारे शब्दों को
जिनसे में बना सकूं
कविता की एक माला
तुम्हारे लिए
सिर्फ तुम्हारे लिए !
....bahut khoobsurat bhavon se saji hai aapki rachna...
bahut haardik shubhkaamnayne...
मैं भी तलाश रहा हूँ
उन शब्दों को
जो समेट ले
मेरे इन अहसासों को
जो सोख ले
इस दर्द के सागर को
और में भी
इन शब्दों के मोतियों को
प्यार के धागे में पिरोकर
बुन सकूँ
कविता की एक माला
-कविता ऐसे ही बनती है.गहरे अहसासों को सार्थाक शब्द मिल ही जाते हैं.
shbd kam pad jayengen......mindblowing!
kya baat hai .waaahhhhhhhhhhhhhhh ..... badi samarpit type ki kavita hai nirjhar bhai ..
A beautiful poem, bahut hi saral dikhne wali par gehri, bahut sunder rachna.
shubhkamnayen
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