ज़र्द चेहरा,आँख वीरां जुल्फ उलझी हैं आज क्यूँ !
नग़मा वही,सरगम वही फ़िर ख़ामोश साज क्यूँ !!
जिस शख्स के दम से थी कभी रौनक-ए-महफिल !
तनहा है वही शख्स भरी महफिल में आज क्यूँ !!
जिन आंखों की मस्ती का दीवाना जहाँ था !
पुरनम है वही आँख महफिल में आज क्यूँ !!
बदला नही है कुछ भी, अम्बर से जमीं तक !
दिल के ये ज़जबात फिर बदले है आज क्यूँ !!
आती नही है लब पे तेरे दिल की बात क्यूँ !
मै हमराज़ हूँ हमदम तेरा हमसे भी राज़ क्यूँ !!
आँखें है झील तेरी दिल तेरा मयकदा है !
पहलू में 'नीर' तेरे, प्यासा है आज क्यूँ !!
नग़मा वही,सरगम वही फ़िर ख़ामोश साज क्यूँ !!
जिस शख्स के दम से थी कभी रौनक-ए-महफिल !
तनहा है वही शख्स भरी महफिल में आज क्यूँ !!
जिन आंखों की मस्ती का दीवाना जहाँ था !
पुरनम है वही आँख महफिल में आज क्यूँ !!
बदला नही है कुछ भी, अम्बर से जमीं तक !
दिल के ये ज़जबात फिर बदले है आज क्यूँ !!
आती नही है लब पे तेरे दिल की बात क्यूँ !
मै हमराज़ हूँ हमदम तेरा हमसे भी राज़ क्यूँ !!
आँखें है झील तेरी दिल तेरा मयकदा है !
पहलू में 'नीर' तेरे, प्यासा है आज क्यूँ !!