मंगलवार, 16 अक्तूबर 2012

सब खुशियाँ क़ैद मिली मन में

........... 


अनमोल लम्हे कुछ 
जीवन के 
हमसे राहों में छूट गए
हम नादाँ थे नादानी में  
कुछ बंधन हमसे टूट गए
मैं लौट के फिर से आया हूँ 
यादों के टुकड़ों को चुनने 
इन राहों से इन बाँहों से 
था य़की मुझे मिल जाने का
मुरझाई कली खिल जाने का 
कुछ राही बरसों बाद  मिले 
कुछ वीराने आबाद मिले  
कुछ गीत फ़िजा में घुले हुए
सब मन के दर्पण धुले हुए
में भटक रहा था यहाँ वहां 
खुशियों की खातिर कहाँ-कहाँ
सब खुशियाँ क़ैद मिली मन में
अब सुकूँ मिला है जीवन में !



..............

16 टिप्‍पणियां:

sakhi ने कहा…

badhiya likha hai..lekin kin galiyo se gujre aaj

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

भावों को खूबसूरत शब्द दिये हैं ।

kshama ने कहा…

Tabiyat kharab hai,lekin aapkee rachana dikhi to padhne baith gayee...bahut sundar!

Pratik Maheshwari ने कहा…

यादों की खुशबू हमेशा इस चमन में बहती रहेगी.. सुन्दर..

रचना दीक्षित ने कहा…

यादों की महक और मदहोशी में डूबना इसके लिये सुखकर नहीं है. सुंदर प्रस्तुति.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

कुछ मिले .... कितनी खुशियाँ दे गए , बहुत अच्छे भाव

Amrita Tanmay ने कहा…

सुन्दर रचना..

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

भावों को खूबसूरत प्रस्तुति ,,,,

RECENT POST: दीपों का यह पर्व,,,

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 15 - 11 -2012 को यहाँ भी है

.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....
कुछ पटाखे , कुछ फुलझड़ियाँ और कुछ उदास चुप्पियाँ.. .

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत सराहनीय प्रस्तुति.
बहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. दिल को छू गयी. आभार !
बेह्तरीन अभिव्यक्ति .बहुत अद्भुत अहसास.सुन्दर प्रस्तुति.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !

मंगलमय हो आपको दीपो का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार..

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

सब मन के दर्पण धुले हुए
में भटक रहा था यहाँ वहां
खुशियों की खातिर कहाँ-कहाँ
सब खुशियाँ क़ैद मिली मन में
अब सुकूँ मिला है जीवन में !
-
मन के दर्पण यों ही स्वच्छ
रह खुशियों से झिलमिलाते रहें - दीवाली के मंगल दीपों के साथ!

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

सब मन के दर्पण धुले हुए
में भटक रहा था यहाँ वहां
खुशियों की खातिर कहाँ-कहाँ
सब खुशियाँ क़ैद मिली मन में
अब सुकूँ मिला है जीवन में !
दीवाली के मंगल दीपों के साथ मन का दर्पण खुशियों से झलमलाता रहे !

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

भावों की खूबसूरत अभिव्यक्ति

Dinesh pareek ने कहा…

बेहद प्रभाव साली रचना बहुत अच्छी रचना .....


आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे

आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में

तुम मुझ पर ऐतबार करो ।

.

prritiy----sneh ने कहा…

waah bahut khoob. sach hai hriday mein dhundhne par khushiyan vahin ek kone mein basi mil jati hain.

shubhkamnayen

जयंत - समर शेष ने कहा…

Kyaa baat hai kyaa baat hai kyaa baat hai...