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बरसों से
दिल की तलहटी में दबी हुई
कुछ बेसूद उम्मीदें
कुछ बेसूद उम्मीदें
और
बेकार सी बातें
कुछ बेपर्दा ख्याल
कुछ बेपर्दा ख्याल
और
बेनूर ख्वाब
कुछ बेज़ार ख्वाहिशें
कुछ बेज़ार ख्वाहिशें
और
बेरब्त तमन्नाएं
दिल की क़ैद से
दिल की क़ैद से
बाहर आने को बेताब हैं
मैं भी तलाश रहा हूँ
मैं भी तलाश रहा हूँ
उन शब्दों को
जो समेट ले
जो समेट ले
मेरे इन अहसासों को
जो सोख ले
जो सोख ले
इस दर्द के सागर को
और में भी
और में भी
इन शब्दों के मोतियों को
प्यार के धागे में पिरोकर
बुन सकूँ
प्यार के धागे में पिरोकर
बुन सकूँ
कविता की एक माला
मैं तलाशता हूँ जिन्हें
हर रोज
हर रोज
हर पल
हर जगह
वो सारे अनछुए शब्द
ना जाने कहाँ छुपे हैं
मुझे यकीं है
उम्र के आखिरी पड़ाव तक
वो सारे अनछुए शब्द
ना जाने कहाँ छुपे हैं
मुझे यकीं है
उम्र के आखिरी पड़ाव तक
पा ही लूँगा
उन सारे शब्दों को
जिनसे में बना सकूं
कविता की एक माला
तुम्हारे लिए
सिर्फ तुम्हारे लिए !
जिनसे में बना सकूं
कविता की एक माला
तुम्हारे लिए
सिर्फ तुम्हारे लिए !
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