बुधवार, 11 फ़रवरी 2009

कर्म और किस्मत

हम भी चले थे शौक से
थी जिधर मंजिल मेरी
दिल में था जोश-ओ-जुनूं
और ख्वाब थे दौलत मेरी ।

नभ पे थी मेरी निगाहें
उड़ने की चाहत मेरी
होसलों के पंख थे और
साथ थी हिम्मत मेरी ।

राह में पर्वत थे ऊँचे
दूर थी मंजिल मेरी
तूफ़ान पीछे रह गए
थी चाल कुछ ऐसी मेरी

थी मोहब्बत की सजा
या बद'नसीबी ये मेरी
फल कहो कर्मो का मेरे
या कहो किस्मत मेरी ।

जिस जगह से एक कदम पर
मुझसे थी मंजिल मेरी
उस जगह पर ही खुदा ने
छीन ली आँखें मेरी ।।

मंगलवार, 27 जनवरी 2009

हादसा एक नया आज...

हादसा आज फ़िर से नया हो गया !
ख्वाब जगते रहे और में सो गया !!

जो ज़माने की ठोकर में बरसों रहा !
आज पत्थर वो देखो खुदा हो गया !!

ढूँढा था दिल ने जिसे दर - - दर !

रूबरू वो हुआ तो ये दिल खो गया !!

जिसने बेखुद किया था मुझे एक दिन !

क्यूँ? अजनबी आज वो बेसबब हो गया !!

कुछ तो है इस मौहब्बत में जादूगरी !
नाम आते ही उसका नशा हो गया !!

परत - दर - परत भेद सब खुल गए !
आँख पुरनम हुई जिस्म बुत हो गया !!

गुरुवार, 15 जनवरी 2009

रात के जैसी काली चादर ...

रात के जैसी काली चादर ओढ़ मेरा दिन आता है ।
सूरज तेरे दर पे दस्तक देने चलकर आता है ॥

देख के मेरे घर का रस्ता जुग्नू भी छुप जाता है ।
आसमान का हर तारा घर झांकने  तेरे आता है ॥

काला बादल साथ हवा के देख मुझे उड़ जाता है ।
देख के बिखरी जुल्फें तेरी झूम के सावन आता है ॥

में जो कदम रखूँ बागों में सब वीराँ हो जाता है ।
तू हँस दे जो वीराँनों में वीराँ गुलशन हो जाता है ॥

जिस रस्ते पाँव रखूँ में निर्झर मंजिल से कट जाता है ।
तू जिस रस्ते पाँव रखे वो मंजिल से मिल जाता है ॥

शुक्रवार, 9 जनवरी 2009

चुरा के ला ए हवा..

कैसे निकलेगा दम हमदम मिलन की आस बाकी है !
कफ़स हो बस तेरा दामन फ़कत ये प्यास बाकी है !!


कत्ल करके वो मेरा अब भी छुपा बैठा है !
उसे डर है कहीं मुझमें अभी तक साँस बाकी है !!


तू दर बंद ना कर साकी पलकों से मयकदे का !
पीने दे मय नज़र से अभी तो रात बाकी है !!


थी मुद्दत से आरजू कि तुझे हाल -ए -दिल कहूँ !
इजाजत हो तो दिल खोलूँ अभी ज़ज्बात बाकी है !!


चुरा के ला ए हवा उसके बदन की खुशबू !
जिसके दम से मेरे गुलशन में महक बाकी है !!

इस जन्म में कोई गुनाह किया हो नीर याद नही !
शायद पिछले जन्मों के गुनाहों की सज़ा बाकी है !!

मंगलवार, 30 दिसंबर 2008

जा रहे हो कौन पथ पर ?


पथ को तुम देखो जरा
मन की आँखें खोलकर
सत्यपथ को छोड़कर तुम
जा रहे हो कौन पथ पर !

ना प्यार के साए है इस पथ
ना कोई हमराह है
काफिलों को छोड़कर तुम
जा रहे हो कौन पथ पर !

ना कोई मंजिल है इस पथ
ना लौटने के है निशाँ
इंसानियत को छोड़कर तुम
जा रहे हो कौन पथ पर !

पाप के पथ आज तक
जो भी गया वो मिट गया
ज्ञान का पथ छोड़कर तुम
जा रहे हो कौन पथ पर !

मंगलवार, 23 दिसंबर 2008

बेबस जवानी....



बचपन याद नही
बस याद है मुझे
जिम्मेदारियों के बोझ से
लड़कपन के लड़खड़ाते कदम

इससे पहले की जवानी
मेरे दर पे दस्तक देती
में ताला लगा के चल दिया
तलाश में रोटी की

एक बार जब में गाँव गया था
तब पता चला , वो आयी थी
दर पे ताला देख उदास मन से
मुझे ढूँढने शहर चली गयी

कल किसी ने मुझे आवाज दी
भीड़ में चारों तरफ़ देखा
दूर , सड़क के उस पार से
हाथ हिलाता एक अजनबी चेहरा

कशमकश के भाव लिए
जब मै उसके पास गया
उसने अपनी बाहों का हार
मेरे गले में डाल दिया

कहने लगी ,ऐसे क्या देखते हो
में जवानी हूँ , तुम्हारी जवानी
फिर आउंगी , अगले जनम में
इस बार मेरा इंतजार करना

में देखता रहा उसे जाते हुए
और किसी ने आ पकड़ा मेरा हाथ
कहने लगा ,में हूँ ना ! में बुढापा हूँ
आज से तेरे साथ रहूंगा ।

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शनिवार, 13 दिसंबर 2008

अक्सर सोचता हूँ !

---अक्सर सोचता हूँ
मैं तेरा ही एक रूप हूँ !

तू भी अकेली है
में भी अकेला हूँ
तुझे भी तलाश है एक आशियाँ की
मुझे भी तलाश है एक अजनबी की

---अक्सर सोचता हूँ
मैं तेरा ही एक रूप हूँ !


यकीनन तुझे मोहब्बत है मेरे वजूद से
तू चाहती है मेरा साथ उम्र भर के लिए

-------शायद मैं भी चाहता हूँ तुझे
वरना क्यूँ ? घंटों बातें करता तुझसे
क्यूँ ? सोचता हूँ तेरे बारे मैं हर पल
क्यूँ गुजरती है तेरे पहलू में हर रात

---अक्सर सोचता हूँ
मैं तेरा ही एक रूप हूँ !


एक तू है, बावफ़ा
चली आती है हर जगह हर वक़्त
मेरा साथ देने के लिए

एक मैं हूँ, बेवफा
नही चाहता तेरा साथ
यूँ हर जगह हर वक़्त

मैं भी मजबूर हूँ तू भी मजबूर है
मेरा भी तेरे सिवा कोई नही
शायद तेरा भी मेरे सिवा कोई नही

---अक्सर सोचता हूँ
मैं तेरा ही एक रूप हूँ !

मेरी तन्हाई
सिमट जा मेरी बाहों में सदा के लिए
आ मेरी तन्हाई
फैला ये बाहें मुझे आगोश मैं ले - ले

मैं भी वफ़ा करूंगा
दूंगा तेरा साथ
हर जगह हर वक़्त
उम्र भर के लिए !