बुधवार, 14 अप्रैल 2010

क़ैद


ज़हन और दिल पे
तेरी यादों के साये
इस क़दर छाये है
जैसे
पहाड़ी कंदराओं के
आखिरी हिस्से में
छाया हुआ अँधेरा
वक़्त भी खड़ा है
पाएदार की तरह
एक ही जगह पर
ना सहर होती है
ना शाम ढलती है
उम्मीद की किरण भी 
दो कदम चलकर
दम तोड़ देती है
लगता है ये रूह
जिस्म से आज़ाद होकर भी
जन्मों तक भटकती रहेगी
इन अँधेरी गुफाओं में 
ए काश:तुम आते 
मुझे आज़ाद करने
इन यादों की
घनी क़ैद से
हमेशा-हमेशा के लिए.  

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सोमवार, 22 मार्च 2010

ख्वाब और ख्याल

रात मैंने
एक ख्वाब को आवाज दी
ख्वाब के दस्तक देने से पहले
एक खूबसूरत ख्याल आया
और मुझे जगाकर
अपने साथ ले गया
चांदनी रात में
ख्वाब ने
सुबह तक इंतजार किया

क्या करें ?
ख्याल खूबसूरत हो तो
वक़्त का पता ही नहीं चलता
सहर हो गयी
ना ख्वाब रहा
ना ख्याल रहा
आँखें बोझिल है
आज दिन में भी
धुंध रहेगी 

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सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

दुआ

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मांगी ये दुआ किसने
मेरी जिंदगी की खातिर
दामन छुड़ा के देखो
मेरी मौत जा रही है

तपते हुए सहरा में
दुआओं का करिश्मा है
घटा बनके सर पे देखो
मेरे साथ जा रही है

रोशन रहें ये राहें
इन गम के अंधेरों में
दुआ बनके दीप देखो
मेरे पास आ रही है

उसी रब का रूप हैं ये
कितना असर है इनमें
मंजिल भी चलके देखो
मेरे क़दमों में आ रही है

हर सू अमन हो जग में
हर माँ की ये दुआ है
धरती भी माँ है निर्झर
माँ आंसूँ बहा रही है !

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सोमवार, 28 दिसंबर 2009

नववर्ष



एक पल
एक ऐसा पल
जो समेटे है
मिलन और जुदाई 
एक पल ही तो है
जो जोड़े रखता है
अतीत को भविष्य से
आने वाले को जाने वाले से
सिर्फ मन के भाव बदलते है
यथार्थ में कुछ नहीं बदलता
बदलते है तो सिर्फ अहसास
कुछ सपने , कुछ ख्वाहिशें
उम्मीदों की कुछ किरणें 
हौसलों के पंख
नववर्ष का आगाज है
मन की बाहें फैलाकर
इसका स्वागत करो
कहते है....
जब जागो, तभी सवेरा
अगर चाहते हो 
आने वाली पीढ़ियों को
तुम पर गर्व हो  
तो जागो 
अतीत के अनुभव की मिटटी में 
भविष्य के सपने बो कर
करो शुरुआत 
एक नए युग की
नए वर्ष के
उगते सूरज के साथ.

नववर्ष मंगलमय हो !
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गुरुवार, 3 दिसंबर 2009

कदम धरती पे रहने दो.

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कदम धरती पे रहने दो
भले ही नभ पे हो नजरें 
सितारा बनके तुम टूटो
कहीं ऐसा ना हो जाये

गुमां था जिनको पंखों पे
जो निकले नापने नभ को
थके हारे वो पंछी भी
जमीं पर लौट कर आये

ये माना की जरुरी है
ये दौलत और ये सौहरत
मगर किस काम के ये सब
जो रिश्ते ही जला जाये

अपना घर बनाने को
शज़र तूने जो काटा है
ना जाने कितने घर इसपे
परिंदों ने बनाये थे .


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सोमवार, 16 नवंबर 2009

स्वाभिमान..

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शूक्ष्म अंतरित शब्द
अभिमान और स्वाभिमान
ये शब्द समेटे है अपने आप में
सागर की गहराई और
अनंत आकाश
इतिहास गवाह है
एक ओर जहां .........
दुर्योधन का अभिमान
महाभारत का कारण बना
रावण के अभिमान ने
रामायण की रचना की .
दूसरी ओर वहीं ...............
अपने स्वाभिमान की खातिर
महाराणा प्रताप जैसे वीर ने
जंगलो की ख़ाक छानी
भगतसिंह ने हँसते-हँसते
फांसी का फंदा चूमा.
मैं स्वाभमानी हूँ
इसीलिए पूजता हूँ उन्हें
जिनसे जिंदा है देश की
आन, मान और शान
फक्र से कहता हूँ मैं
"मेरा भारत महान"

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शनिवार, 24 अक्टूबर 2009

जिंदगी क़र्ज़ है



इतना
तो मुझको भी मालूम था
साथ साया अंधेरों में रहता नही
मेरे सरपे था सूरज चमकता हुआ
मगर मेरे क़दमों में साया ना था

बन के मैं जोगी भटकता रहा
जिगर में कहीं दर्द पलता रहा
सिसकता रहा आह भरता रहा
बेखुद था क्या-क्या मैं करता रहा !

रूह बेचैन है दिल भी मजबूर है
अब तो, ये चेहरा भी बे-नूर है
आखिरी वक़्त है अब जवां दर्द है
जिंदगी क़र्ज़ थी जिंदगी क़र्ज़ है



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