चाँद के जैसी सूरत तेरी चकवे जैसी प्रीत है मेरी जोगी जैसे फिरूं भटकता इश्क कहे ये रीत है मेरी ! शमां हुस्न की परवाने को ले बाँहों में जला रही है हुस्न कहे, ले हार गया तू इश्क कहे ये जीत है मेरी !तेरे प्यार की एक बूँद में जीवन डोर बंधी मेरी मैं सदियों का प्यासा हूँ चातक जैसी प्यास है मेरी !जैसे चातक गगन निहारे मैं यूँ राह तकूँ तेरी इश्क समुन्दर मैं ना चाहूं एक बूँद की प्यास है मेरी !.........................................