शनिवार, 6 जून 2009

चकवे जैसी प्रीत मेरी



चाँद के जैसी सूरत तेरी
चकवे जैसी प्रीत है मेरी
जोगी जैसे फिरूं भटकता
इश्क कहे ये रीत है मेरी !

शमां हुस्न की परवाने को
ले बाँहों में जला रही है
हुस्न कहे, ले हार गया तू
इश्क कहे ये जीत है मेरी !

तेरे प्यार की एक बूँद में
जीवन डोर बंधी मेरी
मैं सदियों का प्यासा हूँ
चातक जैसी प्यास है मेरी !

जैसे चातक गगन निहारे
मैं यूँ राह तकूँ तेरी
इश्क समुन्दर मैं ना चाहूं
एक बूँद की प्यास है मेरी !

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