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अनमोल लम्हे कुछ
जीवन के
हमसे राहों में छूट गए
जीवन के
हमसे राहों में छूट गए
हम नादाँ थे नादानी में
कुछ बंधन हमसे टूट गए
मैं लौट के फिर से आया हूँ
यादों के टुकड़ों को चुनने
इन राहों से इन बाँहों से
कुछ बंधन हमसे टूट गए
मैं लौट के फिर से आया हूँ
यादों के टुकड़ों को चुनने
इन राहों से इन बाँहों से
था य़की मुझे मिल जाने का
मुरझाई कली खिल जाने का
मुरझाई कली खिल जाने का
कुछ राही बरसों बाद मिले
कुछ वीराने आबाद मिले
कुछ वीराने आबाद मिले
कुछ गीत फ़िजा में घुले हुए
सब मन के दर्पण धुले हुए
में भटक रहा था यहाँ वहां
खुशियों की खातिर कहाँ-कहाँ
सब खुशियाँ क़ैद मिली मन में
अब सुकूँ मिला है जीवन में !..............