सोमवार, 28 दिसंबर 2009

नववर्ष



एक पल
एक ऐसा पल
जो समेटे है
मिलन और जुदाई 
एक पल ही तो है
जो जोड़े रखता है
अतीत को भविष्य से
आने वाले को जाने वाले से
सिर्फ मन के भाव बदलते है
यथार्थ में कुछ नहीं बदलता
बदलते है तो सिर्फ अहसास
कुछ सपने , कुछ ख्वाहिशें
उम्मीदों की कुछ किरणें 
हौसलों के पंख
नववर्ष का आगाज है
मन की बाहें फैलाकर
इसका स्वागत करो
कहते है....
जब जागो, तभी सवेरा
अगर चाहते हो 
आने वाली पीढ़ियों को
तुम पर गर्व हो  
तो जागो 
अतीत के अनुभव की मिटटी में 
भविष्य के सपने बो कर
करो शुरुआत 
एक नए युग की
नए वर्ष के
उगते सूरज के साथ.

नववर्ष मंगलमय हो !
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गुरुवार, 3 दिसंबर 2009

कदम धरती पे रहने दो.

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कदम धरती पे रहने दो
भले ही नभ पे हो नजरें 
सितारा बनके तुम टूटो
कहीं ऐसा ना हो जाये

गुमां था जिनको पंखों पे
जो निकले नापने नभ को
थके हारे वो पंछी भी
जमीं पर लौट कर आये

ये माना की जरुरी है
ये दौलत और ये सौहरत
मगर किस काम के ये सब
जो रिश्ते ही जला जाये

अपना घर बनाने को
शज़र तूने जो काटा है
ना जाने कितने घर इसपे
परिंदों ने बनाये थे .


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