मंगलवार, 27 जनवरी 2009

हादसा एक नया आज...

हादसा आज फ़िर से नया हो गया !
ख्वाब जगते रहे और में सो गया !!

जो ज़माने की ठोकर में बरसों रहा !
आज पत्थर वो देखो खुदा हो गया !!

ढूँढा था दिल ने जिसे दर - - दर !

रूबरू वो हुआ तो ये दिल खो गया !!

जिसने बेखुद किया था मुझे एक दिन !

क्यूँ? अजनबी आज वो बेसबब हो गया !!

कुछ तो है इस मौहब्बत में जादूगरी !
नाम आते ही उसका नशा हो गया !!

परत - दर - परत भेद सब खुल गए !
आँख पुरनम हुई जिस्म बुत हो गया !!

गुरुवार, 15 जनवरी 2009

रात के जैसी काली चादर ...

रात के जैसी काली चादर ओढ़ मेरा दिन आता है ।
सूरज तेरे दर पे दस्तक देने चलकर आता है ॥

देख के मेरे घर का रस्ता जुग्नू भी छुप जाता है ।
आसमान का हर तारा घर झांकने  तेरे आता है ॥

काला बादल साथ हवा के देख मुझे उड़ जाता है ।
देख के बिखरी जुल्फें तेरी झूम के सावन आता है ॥

में जो कदम रखूँ बागों में सब वीराँ हो जाता है ।
तू हँस दे जो वीराँनों में वीराँ गुलशन हो जाता है ॥

जिस रस्ते पाँव रखूँ में निर्झर मंजिल से कट जाता है ।
तू जिस रस्ते पाँव रखे वो मंजिल से मिल जाता है ॥

शुक्रवार, 9 जनवरी 2009

चुरा के ला ए हवा..

कैसे निकलेगा दम हमदम मिलन की आस बाकी है !
कफ़स हो बस तेरा दामन फ़कत ये प्यास बाकी है !!


कत्ल करके वो मेरा अब भी छुपा बैठा है !
उसे डर है कहीं मुझमें अभी तक साँस बाकी है !!


तू दर बंद ना कर साकी पलकों से मयकदे का !
पीने दे मय नज़र से अभी तो रात बाकी है !!


थी मुद्दत से आरजू कि तुझे हाल -ए -दिल कहूँ !
इजाजत हो तो दिल खोलूँ अभी ज़ज्बात बाकी है !!


चुरा के ला ए हवा उसके बदन की खुशबू !
जिसके दम से मेरे गुलशन में महक बाकी है !!

इस जन्म में कोई गुनाह किया हो नीर याद नही !
शायद पिछले जन्मों के गुनाहों की सज़ा बाकी है !!