जब-जब वक़्त बुरा आया रिश्तों को बदलते देखा है !
माया के मोह में लोगों का ईमान बदलते देखा है !!
वक़्त के मरहम से हमने हर ज़ख्म को भरते देखा है !
अंबर से ज़मीं तक हर शय को दुनिया में बदलते देखा है !!
नभ में चमकते तारों को भी टूटके गिरते देखा है !
ख़ाक उड़ी नभ तक पहुँची तक़दीर बदलते देखा है !!
मिलने की चाह में दिलबर से इस नीर ने भी कई रूप धरे !
कभी उड़ के हवा के साथ चला कभी बर्फ़ में ढल के देखा है !!
माया के मोह में लोगों का ईमान बदलते देखा है !!
वक़्त के मरहम से हमने हर ज़ख्म को भरते देखा है !
अंबर से ज़मीं तक हर शय को दुनिया में बदलते देखा है !!
नभ में चमकते तारों को भी टूटके गिरते देखा है !
ख़ाक उड़ी नभ तक पहुँची तक़दीर बदलते देखा है !!
ख़ुशी की चाहत में हमने भी ग़म का मंज़र देखा है !
कुछ बदन चूमती मौजों को तूफां में बदलते देखा है !! मिलने की चाह में दिलबर से इस नीर ने भी कई रूप धरे !
कभी उड़ के हवा के साथ चला कभी बर्फ़ में ढल के देखा है !!