मंगलवार, 16 अक्तूबर 2012

सब खुशियाँ क़ैद मिली मन में

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अनमोल लम्हे कुछ 
जीवन के 
हमसे राहों में छूट गए
हम नादाँ थे नादानी में  
कुछ बंधन हमसे टूट गए
मैं लौट के फिर से आया हूँ 
यादों के टुकड़ों को चुनने 
इन राहों से इन बाँहों से 
था य़की मुझे मिल जाने का
मुरझाई कली खिल जाने का 
कुछ राही बरसों बाद  मिले 
कुछ वीराने आबाद मिले  
कुछ गीत फ़िजा में घुले हुए
सब मन के दर्पण धुले हुए
में भटक रहा था यहाँ वहां 
खुशियों की खातिर कहाँ-कहाँ
सब खुशियाँ क़ैद मिली मन में
अब सुकूँ मिला है जीवन में !



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मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

आईने में ज़िन्दगी

भीख मांग रहा है फिल्म ‘मदर इंडिया’ का जमींदार ......
उसकी आवाज़ बहुत हल्की है
उसकी बातों में बहुत तल्खी है
वो भी तारा था चमकता नभ का 
बात सच है ये मगर कल की है  
धूल चेहरे पे ज़मी है अब तक 
उसकी आँखों में नमी है अब तक
उसने रिश्तों को जिया है शायद
उसने विष पान किया है शायद
उसमें ज़ज्बात अभी बाकी है
ज़ीस्त की आस अभी बाकी है
वो भी तकदीर का मारा होगा 
वो भी इस वक़्त से हारा होगा !!

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बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

रोज आँखें ये नया ख्वाब

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रोज एक हसरत को दफ़न करता हूँ 
रोज आँखें ये नया ख्वाब सज़ा लेती हैं !
रोज दीवार दरकती है मेरे जेहन की
रोज उम्मीदें नयी नीव ज़मा लेती है !
विश्वास में विष का भी वास होता है
आस ही टूटते रिश्तों को बचा लेती है ! 
ना कीमत-ए-वफ़ा है ना कद्र-ए-मोहब्बत
हसरतें दिल में दिए फिर भी जला लेती हैं !
बचने का हुनर सीख ले अब तो निर्झर
दुनिया अब भी सच को ही सजा देती है !!  

 
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गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012

कमज़र्फ आँखें

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दिल के सागर में 
जब-जब आते है
ज़ज्बातों के झंझावात
तब-तब उठती हैं 
बेबसी और वेदना की 
ऊँची-ऊँची लहरें
सुनामी की तरह 
जिन्हें ये कमज़र्फ आँखें 
चाहते हुए भी 
रोक नहीं पाती
और बहा देती है
उस नमक को
जो जमा किया था
वक़्त की छलनी से 
दर्द को छानकर
दिल की तलहटी में.


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