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रोज एक हसरत को दफ़न करता हूँ
रोज आँखें ये नया ख्वाब सज़ा लेती हैं !
रोज दीवार दरकती है मेरे जेहन की
रोज उम्मीदें नयी नीव ज़मा लेती है !
विश्वास में विष का भी वास होता है
आस ही टूटते रिश्तों को बचा लेती है !
ना कीमत-ए-वफ़ा है ना कद्र-ए-मोहब्बत
हसरतें दिल में दिए फिर भी जला लेती हैं !
बचने का हुनर सीख ले अब तो निर्झर
दुनिया अब भी सच को ही सजा देती है !! .......................
17 टिप्पणियां:
ना कीमत-ए-वफ़ा है ना कद्र-ए-मोहब्बत
हसरतें दिल में दिए फिर भी जला लेती हैं !
बचने का हुनर सीख ले अब तो निर्झर
दुनिया अब भी सच को ही सजा देती है !!
Bahut khoob!
आस ही टूटते रिश्तों को बचा लेती है ! shi bat.
वाह...वाह...वाह...
लाजवाब...बेहतरीन...
जितने सुन्दर विचार हैं, उतनी ही सुगठित प्रस्तुति...
बहुत ही सुन्दर लिखा है बचवा...मन प्रसन्न हो गया...ढेरों आशीष...!!!
विश्वास में विष का भी वास होता है-
sarthak abhivyakti .badhai
बहुत सुन्दर....
बचने का हुनर सीख ले अब तो निर्झर
दुनिया अब भी सच को ही सजा देती है !!
Great lines..
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रोज दीवार दरकती है मेरे जेहन की
रोज उम्मीदें नयी नीव ज़मा लेती है !... और धरती आकाश मेरे साथ रह जाते हैं नए रास्तों पर चलने के लिए
ना कीमत-ए-वफ़ा है ना कद्र-ए-मोहब्बत
हसरतें दिल में दिए फिर भी जला लेती हैं !
बचने का हुनर सीख ले अब तो निर्झर
दुनिया अब भी सच को ही सजा देती है !!
वाह...वाह...वाह...बहुत ही सुन्दर...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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वाह ! सुंदर रचना है निर्झर नीर जी
मुबारकबाद !
होली की भीमंगलकामनाएं
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♥होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार !♥
♥मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !!♥
आपको सपरिवार
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
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वाह ...बहुत ही बढिया।
वाह ...बहुत ही बढिया।
गज़ब का लिखते हैं ....
शुभकामनायें !
बचने का हुनर सीख ले अब तो निर्झर
दुनिया अब भी सच को ही सजा देती है !!
..sach duniya se bachne ke liye bade hunar ki jarurat hoti hai..
sundar sarthak prastuti..
बहुत सुन्दर!
बचने का हुनर सीख ले अब तो निर्झर
दुनिया अब भी सच को ही सजा देती है !!
aah!! sach kaha.
sunder rachna, padhna man bhaaya
shubhkamnayen
aapko sadhuwad nirjhar ji!
Ehsaas......
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