गुरुवार, 9 मार्च 2017

अपनी-अपनी ढपली


 सबकी अपनी-अपनी ढपली 
सबके अपने-अपने राग
किसे पड़ी है तेरे गम की
कौन सुनेगा तेरे मन की
तन्हाई में रो ले प्यारे
दाग जिगर के धो ले प्यारे 
टूटकर गिरने से पहले 
ख़ाक में मिलने से पहले 
इस आसमाँ को चूम ले  
दम-मस्त होकर झूम ले ।।