सबकी अपनी-अपनी ढपली सबके अपने-अपने राग किसे पड़ी है तेरे गम की कौन सुनेगा तेरे मन की तन्हाई में रो ले प्यारे दाग जिगर के धो ले प्यारे टूटकर गिरने से पहले ख़ाक में मिलने से पहले इस आसमाँ को चूम ले दम-मस्त होकर झूम ले ।।
........................ऊँची-ऊँची चट्टानों से ..........'नीर' गिरा..... निर्झर कहलाया ......निर्झर'नीर ,........झरने का पानी ...............खुद पर खुद का ही नियंत्रण नहीं, बस बहते रहना मेरा स्वभाव है, कभी भावनाओं में बहना ,तो कभी रिश्तों की धार में ..हाँ कभी-कभी ख्वाहिशें भाप बनाकर अपने साथ आसमान में उड़ा ले जाती हैं तो कभी बुराई की ठण्ड बर्फ जैसे जमा भी देती है !....................................... मिलने की चाह में दिलबर से इस " नीर " ने भी कई रूप धरे ! !........................................कभी उड़ के हवा के साथ चला कभी बर्फ़ में ढल के देखा है !!
.....अंधेरों को चीरकर मैं पहुंचा हुँ यहाँ तक ! एक जुग्नू भी साथ दे तो मैं मंजिल को ढूँढ लूँ !!
बाद मुद्दत के जो उनकी नजरों से नजरें मिली! कशमकश दिल में हुई नीर नयन से बह चला!!
पी चुके हैं ज़ाम एक तेरी नज़र से हम ! हाथ में सजते नहीं अब प्याले शराब के !!
मेरी अब उम्र ही क्या है अश्क हूँ तेरी आँखों का ! पलक से तुम गिरा दोगे ख़त्म होगी मेरी हस्ती!!
रोज चेहरा बदलना चाँद की आदत में शामिल था! यही आदत बुरी उसकी लगा गयी दाग दामन में!!
मेरे लहू का रंग छुपाने के वास्ते ! हाथों में बेवफा ने मेहंदी रचाई है !!
क्यूँ में तेरे वादे पे ऐतबार करूँ, अक्सर वादे ये टूट जाते है !! यूँ ही बदनाम हुए हैं रहबर, अक्सर अपने ही लूट जाते है !! एक दिल है कि ,बच्चे की तरह, जिद पे अड़ा बैठा है ! एक में हूँ, मुझे तसव्वुर-ए-ख़्वाब से डर लगता है !!
जहाँ का देख कर मंजर कलेजा मुंह को आता है ! वहीँ पर, आज का नेता, दुकां अपनी सजाता है !!
क्यूँकर भला हो ' नीर ' उसे मंज़िल की तमन्ना ! जिसकी उम्मीद से ज्यादा हो कशिश राहगुज़र में !!
पड़े है पाँव में छाले जो घने ! पाँव नंगे वो चल गया होगा ! खुल के हँसना तेरा मिज़ाज ना था ! दर्द से दिल ये भर गया होगा !!
है किस को ग़लतफ़हमी कि ख़ाक हो गए हम ! कंचन थे हम तो यारो , हैं आज भी यक़ीनन ! निखरे नहीं तो क्या ? है गर्द-ए-सफ़र में हम ! बिखरे नहीं अभी तक हाँ टूटे ज़रूर थे हम !!
कमज़र्फ थे वो लोग जो प्यालों में बह गए ! जिनमें था ज़र्फ़दर्द वो सब हँस के सह गए ! बुलंदी हौसलों की देखिये तूफां में चले हैं ! लहरों पे चलके आयेंगे साहिल से कह गए !!
ढूंढा है बहुत हमने भी दुनिया की भीड़ में ! मिल ही ना सका कोई भी मुझको तेरी तरह ! मुमकिन है मिल गया हो तुझे कोई मेहरबां ! चाहा हो जिसने टूटकर तुझको मेरी तरह !!
पाई तक का हिसाब रखता हूँ ! दोस्त भी बेहिसाब रखता हूँ ! घर में जलता नहीं दिया लेकिन ! दिल में इक आफताब रखता हूँ !!
ज़िगर में खाली जगह भी रख अगर है चाह ख़ुशी की! ख़ुशी की आड़ में छुप के हज़ार ग़म भी आते है !! एक नारंगी सी नार ने, दिया ऐसा जादू डार ! माँ बेटे से कह रही, मोह जीते जी ना मार !!
एक त्रिया के मोह में, काहे माँ से नज़र चुराए ! माँ की ममता ना घटे, चाहे सुत बैरी हो जाए !!
रही ना जब वो बहारें तो ये गर्दिश भी गुजर जाएगी! ना हो मायूस वक़्त बदलेगा ज़िन्दगी फिर सेमुस्कराएगी !
बिन तेरे जी ना सका और वो मर भी ना सका ! किया था ज़ब्त बहुत उसने मगर कर ना सका ! पूछा जो हमने उसे अब भी याद करते हो ! आँख भर आई वो इकरार-ए-वफ़ा कर ना सका !!
हमने भी बहुत गौर से लोगों को पढ़ा है, नक़ाब सा हर शख्स के चेहरे पे चढ़ा है ! मुद्दत हुई है मय से मुझे तोबा किए हुए, नज़रों की शरारत का नशा मुझपे चढ़ा है!
भटक रहा था 'नीर' जिस की तलाश में दशकों से ! मिला तो कर के गया वो भी सराबोर मुझे अश्कों से !!
अब दुआ भी ज़िंदगी की, अर्श तक जाती नही। ग़र जरुरत हो तो ज़ालिम, मौत भी आती नही। अज़नबी सा ज़िंदगी से, हर कोई लगता यहाँ। कुछ हादसों की याद 'निर्झर' उम्र भर जाती नही।। टूटा हूँ ,बिखरा हूँ ,तब जा के निखरा हूँ। पहले में पत्थर था ,लेकिन अब हीरा हूँ ।।
बहकी-बहकी बातें तेरी दीवानों सी रंगत। पहले जैसे नहीं रहे अब, बदल गयी है संगत।।
2 टिप्पणियां:
Nirjhar bhai....
Ati sundar.. Aanand aa gaya.
Ye to bahut badhiya hain
"तन्हाई में रो ले प्यारे
दाग जिगर के धो ले प्यारे "
Waah waah waah....
badi hi sunder line likhi hai apne, thanks, Free me Download krein: Mahadev Photo
एक टिप्पणी भेजें