कर कुछ ऐसा कि तेरे नाम को नाम मिले ।
वो जो पूछेगा तुझे कुछ तो बताना होगा ।।
भले उड़ जाये गगन में तू कहीं तक पंछी ।
धरा पे लौट के आखिर तो तुझे आना होगा ।।
ना हाथ पकड़ने वाले ना ही तिनकों के सहारे ।
भंवर से खुद ही निकलके तुझे आना होगा ।।
राहों में रौशनी के लिए जुगनू की तरह ।
अँधेरी रात में खुद को ही जलाना होगा ।।
खुद भी खो जायेगा निकला जो खोज में मेरी ।
कस्तूरी हूँ में मुझे खुद में ही तुझे पाना होगा ।।
ज़िन्दगी फिर से मिलेगी है यहाँ किसको पता ।
जी ले जी भर के इसे एक रोज तो जाना होगा ।।
2 टिप्पणियां:
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
मंगलमय हो आपको दीपों का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार
बहुत बढ़िया। बहुत ख़ूब।
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