सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

दुआ

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मांगी ये दुआ किसने
मेरी जिंदगी की खातिर
दामन छुड़ा के देखो
मेरी मौत जा रही है

तपते हुए सहरा में
दुआओं का करिश्मा है
घटा बनके सर पे देखो
मेरे साथ जा रही है

रोशन रहें ये राहें
इन गम के अंधेरों में
दुआ बनके दीप देखो
मेरे पास आ रही है

उसी रब का रूप हैं ये
कितना असर है इनमें
मंजिल भी चलके देखो
मेरे क़दमों में आ रही है

हर सू अमन हो जग में
हर माँ की ये दुआ है
धरती भी माँ है निर्झर
माँ आंसूँ बहा रही है !

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