इश्क में फूल चुने थे जो तेरी आंखों से !
बनके अब शूल उगे हैं वो मेरी आंखों से !!
काँप जाती है मेरी रूह वफ़ा की बातों से !
छलक ना जाए लहू दिल का मेरी आंखों से !!
मिलाई तुमसे नज़र हम ये भूल कर बैठे !
छिन गए सारे हसीं ख्वाब मेरी आंखों से !!
है ये हस्ती-ए-ज़ज्बात की आंधी के निशां !
बन के आँसू जो बहे आज मेरी आंखों से !!
लगी थी आग जो दिल में वो बुझा दी मैंने !
फ़िर क्यूँ ? उठता है धुंआ 'नीर' मेरी आंखों से !!
एहसास
1 माह पहले
9 टिप्पणियां:
ये हस्ती-ए-ज़ज्बात की आंधी के निशां !
बन के आँसू जो बहे आज मेरी आंखों से !!
लगी थी आग जो दिल में वो बुझा दी मैंने !
फ़िर क्यूँ ? उठता है धुंआ 'नीर' मेरी आंखों से !!
waah behtarin,bahut khub
लगी थी आग जो दिल में वो बुझा दी मैंने !
फ़िर क्यूँ ? उठता है धुंआ 'नीर' मेरी आंखों से !!
waah kya baat hai...bahut sunder
लगी थी आग जो दिल में वो बुझा दी मैंने !
फ़िर क्यूँ ? उठता है धुंआ 'नीर' मेरी आंखों से !!
-सुन्दर. साधुवाद.
लगी थी आग जो दिल में वो बुझा दी मैंने..
फ़िर क्यूँ ? उठता है धुंआ 'नीर' मेरी आंखों से...
-बहुत उम्दा!!
Waqayeeme aapkee kavyroopee neer ek jharneki tarah behta hai...urnaahee swabhavik....jharnepe kab kaun niyantran kar sakta hai...isiliye, har pankt,ek nirmal bahaw liye kabhee chhalak kar to kabhi sayan ho behtee hai..
Anek shubhkamnayen..
Tippaneeke liye dhanyawaad...kalhi aapka blog padh gayi thi,to aaj naya kya likhun?
Khair, mujhe samajh nahee aa raha ki, meree ye kavita adhooree kyon hai, jabki jis blogpe "kavita.blogspot.com", wahan to pooree hai...kuchh to gadbad huee hai is blogko chitthajagat se jodneme, jo galat blog khul raha hai...shayad aap jis postpe ek kadhayee kiye phoolkee tasveer dekhen, wo updated blog hai...
Mai technichal jaankaaree nahee rakhti, shayad yahi wajeh hai is confusion kee..!
मिलाई तुमसे नज़र हम ये भूल कर बैठे !
छिन गए सारे हसीं ख्वाब मेरी आंखों से !!
Subhan Allah...lajawab sher hai neer saheb...badhaii...
neeraj
वाह !! वाह !! बहुत खूब !! दर्द साकार हो गए शब्दों में....
अति भावपूर्ण मर्मस्पर्शी रचना...वाह !!
बहुत ही सुन्दर रचना
पहली बार आया आपके ब्लॉग पर अच्छा लगा..
शुभकामनायें..
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