तेरे जैसे कितने आये ,
जाने कितने आएंगे ,
दौड़ते चलते खिचड़ते ,
कितने ही मिल जायेंगे ,
राजा हो रंक सबके ,
नक्श-ए-पां रह जायेंगे ।
तुझसे पहले मैं यहाँ था ,
बाद भी तेरे रहूँगा ,
साथ रहकर भी तुम्हारे ,
दूर तुमसे मैं रहूँगा ,
दर्द दिल में,हैं बहुत से ,
हँस के मैं सारे सहूंगा ।
पूछते हैं लोग मुझसे ,
मंजिलों के रास्ते ,
थक-हार के बैठा कोई ,
क्यूँ रहगुज़र के वास्ते ,
मील का पत्थर बना मैं ,
'नीर' किसके वास्ते ।
1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर प्रवाह मय रचना है ...
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