ख्वाब जगते रहे और में सो गया !!
जो ज़माने की ठोकर में बरसों रहा !
आज पत्थर वो देखो खुदा हो गया !!
ढूँढा था दिल ने जिसे दर - ब - दर !
रूबरू वो हुआ तो ये दिल खो गया !!
जिसने बेखुद किया था मुझे एक दिन !
क्यूँ? अजनबी आज वो बेसबब हो गया !!
कुछ तो है इस मौहब्बत में जादूगरी !
नाम आते ही उसका नशा हो गया !!
परत - दर - परत भेद सब खुल गए !
आँख पुरनम हुई जिस्म बुत हो गया !!
4 टिप्पणियां:
अंतिम से पहला शेर बहुत बढ़िया है... बधाई.. नीर जी........
Naaam aate hi uska nasha ho gaya
bhaut achha laga
achchi kavita hai bhav ghahare hai aapke
वाह ! वाह ! वाह !
बहुत बहुत सुंदर.....हरेक शेर लाजवाब,खूबसूरत और दिल को छूने वाली.
शाबाश !
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