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वो भी लाल था किसी मात का
वो भी नूर था किसी आँख का
जो जला के अपनी ख्वाहिशें
तेरे आज को सजा गया !
ए- नौजवां तू जाग अब
ना जी मति को मारकर
जो खा रहे है देश को
दबोच और प्रहार कर !
जो भोग सारे त्याग कर
ख़ुद कफ़न को बांधकर
लहू की हर एक बूँद को
वतन की भेंट कर गया !
है कर्ज उस शहीद का
वो कर्ज तू उतार दे
है, खाल में जो भेड़ की
उन भेड़ियों को मार दे ! !
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एहसास
1 माह पहले
17 टिप्पणियां:
अच्छी प्रस्तुति।
शासक ही जब भूल गए अपना अपना फर्ज।
है शहीद अब याद कहाँ कौन उतारे कर्ज।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बढ़िया।
घुघूती बासूती
है कर्ज उस शहीद का
वो कर्ज तू उतार दे
है, खाल में जो भेड़ की
उन भेड़ियों को मार दे ! !
bahout sunder shabdon ke
saath ek sunder rachna.
sunder rachana mein bahut hi achhi baat keh di,shayad shahid ka karz utar nahi sake magar haa unke jaisa farz hum bhi nibha sakte hai.badhai
भेड़िए ही तो सारे देश चला रहे हैं. मारा कैसे जाए?
Tooo good...
क्या बात कही है मित्र.
आपने तो अन्दर से हिला दिया..
जवानी और देशप्रेम को जगा दिया..
कृपया मेरी भी एक छोटी से कविता पढें..
http://jayantchaudhary.blogspot.com/2009/03/blog-post_8645.html
आशा करता हूँ आप उसे पसंद करेंगे..
~जयंत
ओजस्वी गीत के लिए बधाई
- विजय तिवारी 'किसलय'
उत्साह से भरपूर लिखा है आपने निर्झर जी...........सुन्दर रचना
bahut hi prabhaav-shali
ojpoorn rachna.......
badhaaee
---MUFLIS---
निर्झर जी,
उत्साह से भरपूर लिखा है .
जवानी और देशप्रेम को जगा दिया
सुन्दर रचना
निर्झर भाई,
क्या कहें.
देश तो देश है..
जननी जन्मभूमि स्वर्गादपि गरीयसी.....
सरस्वती शिशु मंदिर से सीखा था...
अब तक याद है.
आखिरी सांस तक याद रहेगा..
जय हिंद,
~जयंत
वीर रस से भरपूर कविता पढ कर मेरी भी रगं फडकने लगीं।
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SBAI TSALIIM
अद्भुत प्रस्तुति है! मज़ा आया पढ़के!
अफ़सोस फिलहाल भेड़ियों की ही चल रही है.
bhedion ka ant kalam ki kranti se hi ayega.
Inheen "shaheedon" ko madde nazar rakhte hue, ek documentary banana chaah rahee hun..
Jabtak hamare "gazab aur andhe" qanoon nahee badlenge...shaheedon ke taanten lage rahenge..aatank jaaree rahega..
Aapne ek aur PIL ke baarema padha? Jo Medha Patkar ne daakhil kee hai? Kaash kahin to kuchh sunwayee ho..
Aur ye khabar bhee, jo,Shaheed Ashok Kamtekee kee veerpatnee ne ab khule aam kahee hai? Ki sarkaarne kuchh khabaren, police mehkme tak pohonchayee nahee, aur police ke aalaa afsar maare gaye?
Sarkar matlab kya hai? Rajneta? Yaa administrative service, jiske tehet police dept aata hai?
Kya aapne mera aalekh, "gazab qanoon" aur "Dr. Dharamveer commission dwara kiye gaye reforms" ke baareme padha? Inheen reforms ko leke Medha Patkar ne PIL darj kee hai...waise ye pehli PIL nahee...kyon ham sab milke aawaz uthate nahee? Jo shaheed hue wo hamare koyi nahee lagte the?
bahut achha likha hai
shubhkamnayen
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