बस है सहारे ढूंढना फितरत जमाने की !
सहारे छोड़ तुझको है जरुरत ख़ुद संभलने की !!
गुजर जा गम की राहों से तमन्ना रख उजालों की !
जलाकर ख़ुद को रातों में मिटा दे तू ये तारीकी !!
छोड़ आंसू बहाना और उठा अब तेग हिम्मत की !
देख कदमों में फिर हर शय तेरे होगी जमाने की ! !
पलट माजी के पन्ने को नया इतिहास रचना है !
जगा ज़ज्बा मोहब्बत का गिरा दीवार नफरत की !!
नीर नाकामियों की धूल दामन से झटक दे अब !
बस कुछ कदम तुझसे बची है दूरी मंजिल की !!
एहसास
1 माह पहले
1 टिप्पणी:
बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रेरक पंक्तियाँ हैं..आभार
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