उसकी आवाज़ बहुत हल्की है
उसकी बातों में बहुत तल्खी है
वो भी तारा था चमकता नभ का
बात सच है ये मगर कल की है
वो भी तारा था चमकता नभ का
बात सच है ये मगर कल की है
धूल चेहरे पे ज़मी है अब तक
उसकी आँखों में नमी है अब तक
उसने रिश्तों को जिया है शायद
उसने विष पान किया है शायद
उसमें ज़ज्बात अभी बाकी है
ज़ीस्त की आस अभी बाकी है
वो भी तकदीर का मारा होगा
वो भी इस वक़्त से हारा होगा !!
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23 टिप्पणियां:
वक़्त वक़्त का खेल और दर्द ....
ज़ीस्त की आस अभी बाकी है
उसने रिश्तों को जिया है शायद
उसने विष पान किया है शायद
वो भी इस वक़्त का मारा होगा
वो भी भगवान् का प्यारा होगा !!
वक्त से कौन जीता है. बहुत सुंदर और संवेदनशील रचना.
ओह ...मार्मिक
ज़ीस्त की आस अभी बाकी है
बहुत सुन्दर और भावयुक्त रचना
काश ये आस कभी टूटे ना....जब तक सांस है, कम से कम तब तक.....
बहुत सुन्दर..
अनु
पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...
सटीक और सही संदेश देती अद्भुत अभिव्यक्ति.
....... रचना के लिए बधाई स्वीकार....!!!!
kya baat hai, bahut sunder abhivyakti
shubhkamnayen
ज़ीस्त की आस अभी बाकी है
उसने रिश्तों को जिया है शायद
उसने विष पान किया है शायद
वो भी इस वक़्त का मारा होगा
वो भी भगवान् का प्यारा होगा !!
Wah!
marmsparshi rachna!
अब क्या कहें??? बेहद मर्मस्पर्शी
कल 10/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
जब तक अंकों में धूप रहेगी ... चमक के साथ नमी भी रहेगी ... मर्म्स्पर्शीय ...
वक़्त किसीका सगा नहीं होता .....बस अपनी रफ़्तार से चलता है ...जो छूट जाता है .....उसका हश्र कुछ इससे जुदा नहीं होता .....बहुत ही मार्मिक सच्चाई !
आवाज़ बहुत हल्की है
उसकी बातों में बहुत तल्खी है waah........bahut accha.
wah! bahut hi khoob!
यह कहाँ हैं ??
हमें इनकी मदद करनी चाहिए,
कृपया पता दें .....
satish1954@gmail.com
bahut sundar, badhai.
Excellent creation !
सुन्दर.... भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
बहुत ही मार्मिक!!
जीवन के कैसे दांव?
कभी धूप कभी छांव!!
Bahut khoobn!
Nirjhar ji....itni sundar kavita or itni bhavpurnn....kaye baar padhi par har baar pehle se jyada dil me utari.....shabd nahi tarif k.....behad sashakt kavita...
Ehsaas....
sunder rachna
yahi sach hai is jahan ka aaj koi upar kal neeche....
bahut achhe se is sach ko kalambadhdh kiya hai
shubhkamnayen
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