सोमवार, 29 सितंबर 2008

हजारों और भी होंगे ...

हजारों गुल यकीनन ही खिले होंगे बहारों में !
तेरे जैसा भी गुल कोई बहारों में नही होगा !!

हजारों और भी होंगे तुझे यूँ चाहने वाले !
मेरे जैसा भी दीवाना हजारों में नही होगा !!

हजारों महफिलें सजती है अम्बर में सितारों की !
तेरे जैसा कोई तारा सितारों में नही होगा !!

हजारों यूँ तो अफसाने लिखे होंगे किताबों में !
मेरी चाहत का अफसाना तेरे दिल पे लिखा होगा !!

हजारों इश्क के नग्मे घुले होंगे फिजाओं में !
एक नीर का नग्मा हजारों में अलग होगा !!

3 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

neer ,
aapko yahan padhna bahut achchha laga.khoobsurat shabdon men jazbaaton ko likha hai.
badhai

रंजना ने कहा…

बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति है.....सत्य है,प्रेम ऐसा ही होता है.

prritiy----sneh ने कहा…

bahut hi sunder rachna hai, man ke bhaavon mein prem bhare hue.

shubhkamnayen