हजारों गुल यकीनन ही खिले होंगे बहारों में !
तेरे जैसा भी गुल कोई बहारों में नही होगा !!
हजारों और भी होंगे तुझे यूँ चाहने वाले !
मेरे जैसा भी दीवाना हजारों में नही होगा !!
हजारों महफिलें सजती है अम्बर में सितारों की !
तेरे जैसा कोई तारा सितारों में नही होगा !!
हजारों यूँ तो अफसाने लिखे होंगे किताबों में !
मेरी चाहत का अफसाना तेरे दिल पे लिखा होगा !!
हजारों इश्क के नग्मे घुले होंगे फिजाओं में !
एक नीर का नग्मा हजारों में अलग होगा !!
एहसास
1 माह पहले
3 टिप्पणियां:
neer ,
aapko yahan padhna bahut achchha laga.khoobsurat shabdon men jazbaaton ko likha hai.
badhai
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति है.....सत्य है,प्रेम ऐसा ही होता है.
bahut hi sunder rachna hai, man ke bhaavon mein prem bhare hue.
shubhkamnayen
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